Saturday, July 7, 2012

अब रोज होगी मुलाकात

लंबे समय पहले यह ब्‍लॉग बनाया था, सोचा था कि रोज लिखूंगा। अखबारी दुनिया से इतर। लेकिन, कभी नहीं लिख पाया। क्रिएटिविटी मर जाए, इससे बेहतर है कि पनपे भले ही ना, लेकिन थोड़ी बहुत सांस जरूर लेती रहे। इसलिए अब से जरूर लिखूंगा। सप्‍ताह में नहीं तो कम से कम महीने में एक बार जरूर।

Tuesday, October 6, 2009

दो शब्‍द
ऐसे दो शब्‍द - जो किसी घटना के घटित होने पर सबसे पहले जहन में आते है। सबसे पहली प्रतिक्रिया होती है।
वह दो शब्‍द - जो मन के आंदोलित होने की स्‍ि‍थति में स्‍वाभाविक रूप से उदगार बनकर निकलते है।
वह दो शब्‍द - जो पूरा परिचय हो।
ऐसे ही दो शब्‍दों को लिखने का प्रयास है '- दो श्‍ाब्‍द'